दोस्तों, आज का युग इंटरनेट (internet) का युग है। हमारे जीवन का एक बड़ा हिस्सा इंटरनेट पर निर्भर हो गया है। क्या आप जानते हैं की इंटरनेट क्या है ? इंटरनेट कैसे काम करता है ? आइये जानने की कोशिश करते हैं।
Contents
- 1 इंटरनेट क्या है ?
- 1.1 इंटरनेट का विकाश क्रम
- 1.2
- 1.3 इंटरनेट कैसे काम करता है ?
- 1.4 इंटरनेट पर प्रयुक्त प्रोटोकॉल
- 1.5
- 1.6 इंटरनेट का मालिक कौन है ?
- 1.7 इंटरनेट से कैसे जुड़ा जा सकता है ?
- 1.8
- 1.9 IP Address क्या होता है ?
- 1.10 वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web – www) क्या है ?
- 1.11 इंटरनेट तथा वर्ल्ड वाइड वेब में क्या अंतर है ?
- 1.12
- 1.13 Domain Name System (DNS) क्या है ?
- 1.14
- 1.15 Uniform Resource Locator (URL) क्या है ?
इंटरनेट क्या है ?
इंटरनेट (Internet) इंटरनेशनल नेटवर्क (International Network) का संक्षिप्त रूप है। यह दुनिया भर में फैले अनेक कम्प्यूटर्स एवं छोटे बड़े networks को आपस में जोड़ता है। इसलिए इसे नेटवर्कों का नेटवर्क भी कहा जाता है। इसके ही द्वारा पूरे विश्व में फैले निजी, सार्वजनिक, सरकारी, गैर सरकारी, व्यापारिक, शैक्षणिक एवं अन्य सभी तरह के नेटवर्क आपस में जुड़े रहते हैं।
इसकी मदद से हम दुनिया में किसी से भी संपर्क स्थापित कर सूचनाओं का आदान प्रदान कर सकते हैं। यह सूचनाएं किसी भी रूप यथा text, image, audio, video में हों, पलक झपकते ही यह दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुँचा देता है। आज के इस दौर में लोगों की internet पर निर्भरता के कारण ही इस युग को ‘ इंटरनेट युग ‘ या ‘ संचार क्रांति का युग ‘ भी कहा जाता है।
इंटरनेट का विकाश क्रम
- प्रो. J. C. Licklider को इंटरनेट का जनक कहा जाता है। अमेरिकी रक्षा विभाग ने 1969 ई. में ARPANET (Advanced Research Project Agency Net) की शुरुआत की। इसे दुनिया का पहला नेटवर्क कहा जाता है।
- 1989 ई. में इसे आम जनता के लिए भी खोल दिया गया।
- 1989 ई. में ही इंग्लैंड के वैज्ञानिक Tim Berners Lee के द्वारा HTML (Hyper Text MarkUp Language) का विकास किया गया। इसी वर्ष इनके द्वारा world wide web (www) का प्रस्ताव दिया गया। इन्हें वर्ल्ड वाइड वेब का जनक कहा जाता है।
- www का सर्वप्रथम प्रयोग 6 अगस्त 1991 को किया गया।
- European Council for Nuclear Research (CERN) के द्वारा 1993 ई. में www को आम जनता के लिए निःशुल्क कर दिया गया।
- www के लिए एक समान प्रोटोकॉल विकसित करने के उद्देश्य से World Wide Web Consortium (W3C) की स्थापना की गयी।
इंटरनेट कैसे काम करता है ?
इंटरनेट Client-Server मॉडल पर काम करता है। इंटरनेट पर जितनी भी सूचनाएं उपलब्ध हैं वो सब बहुत बड़े computers, जिन्हें server कहा जाता है, पर रहती हैं। दुनिया में बहुत सारे server हैं जो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कोई व्यक्ति server से किसी सूचना की मांग करता है तो इस व्यक्ति को client कहते हैं।
अब server इंटरनेट के माध्यम से वांछित सूचना client तक पहुँचाता है। यदि कोई सूचना उस server के पास उपलब्ध ना हो तो वह दूसरे servers से संपर्क स्थापित कर सूचना को उपलब्ध कराता है।
इंटरनेट से जुड़े सभी कम्प्यूटरों के बीच सूचना के निर्बाध आदान-प्रदान के लिए जरुरी है की सभी कंप्यूटर एक समान नियम या प्रोटोकॉल का पालन करें। इसके लिए एक समान प्रोटोकॉल विकसित किया गया जिसका नाम TCP/IP (Transmission Control Protocol /Internet Protocol) दिया गया।
इसमें किसी सूचना या डाटा को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ कर इंटरनेट के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। गंतव्य स्थान पर पहुँचने के बाद सभी टुकड़ों को फिर से उसी क्रम में जोड़ दिया जाता है। इस प्रक्रिया को packet switching कहा जाता है।
कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने के लिए Internet Service Provider की सेवा लेनी होती है। भारत में Airtel, Jio, BSNL, Vi आदि कुछ शुल्क लेकर इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराते हैं।
इंटरनेट पर प्रयुक्त प्रोटोकॉल
इंटरनेट पर जुड़े सभी कम्प्यूटरों के बीच निर्बाध एवं त्रुटि रहित सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए यह आवश्यक है की एक समान नियम एवं मानक का पालन किया जाए। इन्ही नियमों एवं मानकों के समूह को प्रोटोकॉल (Protocol) कहा जाता है। इंटरनेट पर प्रयुक्त होने वाले प्रोटोकॉल निम्न प्रकार हैं –
- TCP/IP (Transmission Control Protocol/Internet Protocol) – यह इंटरनेट पर प्रयुक्त सबसे अधिक प्रचलित प्रोटोकॉल है। TCP पैकेट स्विचिंग तकनीक पर काम करता है। किसी भी सूचना को छोटे-छोटे टुकड़ों (Packets) में तोड़कर यह इंटरनेट पर एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक पहुँचाता है। गंतव्य स्थान पर पहुंचने के बाद यह पुनः उन पैकेट्स को पूर्व के क्रम में जोड़ कर वांछित सूचना उपलब्ध कराता है। IP इन पैकेटों के साथ गंतव्य स्थान का एक विशेष पता (Address) जोड़ता है तथा इंटरनेट पर इनका मार्ग (Path) निर्धारित करता है। Router (राउटर) एक ऐसा उपकरण है जो नेटवर्क से जुड़ा होता है और इन पैकेटों को निर्धारित स्थान तक पहुंचने में मदद करता है।
- SMTP (Simple Mail Transfer Protocol) – यह प्रोटोकॉल e mail भेजने और प्राप्त करने के लिए उपयोग होता है।
- HTTP (Hyper Text Transfer Protocol) – यह इंटरनेट पर Hyper Text pages या web pages को server से उपयोगकर्ता तक पहुंचाने का काम करता है। HTTP client – server मॉडल के सिद्धांत पर काम करता है।
- FTP (File Transfer Protocol) – यह किसी कंप्यूटर और सर्वर के बीच किसी फाइल के आदान प्रदान के लिए इस्तेमाल होता है। इस फाइल में टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो, फोटो आदि कुछ भी हो सकता है।
- Telnet – इस प्रोटोकॉल के द्वारा हम अपने कंप्यूटर से किसी अन्य जगह स्थित दूसरे कंप्यूटर को जोड़ कर उस कंप्यूटर पर काम कर सकते हैं। Local कंप्यूटर पर command देकर हम Remote कंप्यूटर से काम कराते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो हम Remote कंप्यूटर को अपने कंप्यूटर पर access कर लेते हैं।
- Gopher – इस प्रोटोकॉल के माध्यम से किसी दूरस्थ कंप्यूटर से किसी फाइल या डॉक्यूमेंट को खोज कर उपयोगकर्ता को उपलब्ध कराया जाता है।
इंटरनेट का मालिक कौन है ?
इंटरनेट पर किसी एक व्यक्ति या संस्था का अधिकार नहीं है। इंटरनेट का निर्माण अनेक छोटे बड़े नेटवर्कों के एक साथ जुड़ने से हुआ है। अतः इस पर अनेक व्यक्तियों या संस्थाओं का थोड़ा थोड़ा अधिकार है।
इंटरनेट से कैसे जुड़ा जा सकता है ?
इंटरनेट से जुड़ने के लिए हमें किसी Internet Service Provider से कनेक्शन लेना पड़ता है। इसके लिए हमें एक निर्धारित शुल्क चुकाना पड़ता है। इसके बाद हमें निम्नलिखित उपकरणों या सॉफ्टवेयरों की जरुरत होती है –
- कंप्यूटर /लैपटॉप /टैबलेट /मोबाइल आदि
- मॉडेम (Modem) या नेटवर्क इंटरफ़ेस कार्ड (Network Interface Card – NIC)
- टेलीफोन लाइन /optical fibre कनेक्शन /वायरलेस कनेक्शन आदि
- Web Browser सॉफ्टवेयर जैसे – internet explorer, google chrome, mozilla firefox आदि
- Internet Service Provider जैसे – BSNL, Jio, Vi, Airtel आदि
IP Address क्या होता है ?
इंटरनेट से जुड़े सभी कम्प्यूटरों एवं अन्य उपकरणों को एक विशेष अंकीय पता दिया जाता है। यह 0 से 255 तक के अंको के चार समूहों से मिलकर बनता है, उदाहरण के लिए 189.221.24.15 । चारों समूह डॉट (.) के द्वारा अलग रहते हैं। यह पता Internet Service Provider के द्वारा दिया जाता है। इंटरनेट से जुड़े किसी भी दो कम्प्यूटरों का IP Address एक समान नहीं होता।
वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web – www) क्या है ?
वर्ल्ड वाइड वेब hyperlink द्वारा आपस में जुड़े सूचनाओं का संग्रह है। सूचनाओं से सम्बंधित प्रत्येक पेज को वेब पेज (web page) कहा जाता है। इसे इंटरनेट पर web browser की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है। वेब पेजों को वेबसाइट (website) पर संग्रहित कर रखा जाता है।
इन वेब पेजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने के लिए जिस प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है वो है HTTP . ये सारे वेबसाइट या उनसे जुड़े वेब पेज जिस विशाल कम्प्यूटरों पर रखे होते हैं उन्हें सर्वर (server) कहा जाता है जबकि जो कंप्यूटर इन वेब पेजों की मांग करता है उसे client कहा जाता है।
इंटरनेट तथा वर्ल्ड वाइड वेब में क्या अंतर है ?
सामान्यतः लोग इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब का मतलब एक ही समझते हैं जबकि दोनों अलग अलग चीजें हैं। इन दोनों में निम्नलिखित अंतर हैं –
- इंटरनेट एक संचार नेटवर्क है जबकि वर्ल्ड वाइड वेब hyperlink द्वारा जुड़े सूचनाओं का एक संग्रह है।
- इंटरनेट TCP/IP प्रोटोकॉल पर चलता है वहीँ वर्ल्ड वाइड वेब HTTP प्रोटोकॉल पर।
- इंटरनेट उपयोग करने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों की जरुरत होती है जबकि वर्ल्ड वाइड वेब का उपयोग केवल सॉफ्टवेयर की सहायता से किया जा सकता है।
- इंटरनेट के उपयोग के लिए internet service provider को शुल्क देना पड़ता है जबकि वर्ल्ड वाइड वेब का उपयोग निःशुल्क है।
- इंटरनेट एक संचार माध्यम है जबकि वर्ल्ड वाइड वेब एक service है।
Domain Name System (DNS) क्या है ?
वर्ल्ड वाइड वेब पर प्रत्येक वेबसाइट को एक विशेष नाम दिया जाता है। इसे हम उस वेबसाइट का domain name कहते हैं। इसी नामकरण करने के तरीके एवं इसके लिए अनुपालन किये गए कुछ नियमों को हम Domain Name System कहते हैं। domain name को Domain Name Server IP address में बदल कर उस वेबसाइट की पहचान करता है।
डोमेन नेम वेबसाइट का मूल नाम एवं एक्सटेंशन नाम से मिलकर बनता है जो एक डॉट (.) से विभाजित रहते हैं। www भी डोमेन नेम का हिस्सा होता है लेकिन हम यदि इसे न भी लिखें तो भी वेब ब्राउज़र इसे स्वयं जोड़ लेता है। डोमेन नेम case sensitive नहीं होता है। Domain Name के कुछ उदहारण हैं – google.com, ignou.ac.in, yahoo.co.in आदि।
डोमेन नेम में अधिकतम 64 कैरेक्टर हो सकते हैं। इसमें अंक और अक्षर दोनों शामिल हो सकते हैं। विशेष कैरेक्टर में सिर्फ hyphen (-) का प्रयोग होता है। डोमेन नेम का अंतिम भाग किसी देश या संगठन या विभाग को दर्शाता है जैसे –
.com – commercial
.net – networking
.edu – educational
.org – organization
.co – company
.gov – government
.mil – military
.in – india
.us – united states of america
.au – australia
Uniform Resource Locator (URL) क्या है ?
वर्ल्ड वाइड वेब पर सभी वेबसाइट एवं वेबपेज का एक विशेष address होता है। इसे हम उस वेबसाइट या वेबपेज का URL कहते हैं। URL में डोमेन नेम भी शामिल रहता है। वेब ब्राउज़र URL के आधार पर ही किसी वेबसाइट या वेबपेज को खोज कर उपयोगकर्ता तक पहुँचाता है। URL में प्रोटोकॉल का नाम, कोलोन (:), दो स्लैश (//), www, डोमेन नेम, वेबपेज तक पहुंचने का पथ, फाइल का नाम इसी क्रम में शामिल होते हैं। उदहारण के लिए – https://www.ignou.ac.in/html/index.html . यह case sensitive होता है।
उम्मीद है अब आपको इंटरनेट क्या है ? इंटरनेट कैसे काम करता है ? ऐसे बहुत से सवालों के जवाब मिल गए होंगे।
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