पूस की रात-मुंशी प्रेमचंद

poos ki raat

पूस की रात हल्कू ने आकर स्त्री से कहा – सहना आया है, लाओ जो रुपये रखे हैं उसे दे दूँ , किसी तरह गला तो छूटे। मुन्नी झाड़ू लगा रही थी। पीछे फिरकर बोली- तीन ही तो रुपये हैं, दे दोगे तो कम्मल कहाँ से आयेगा ? माघ-पूस की रात हार में कैसे कटेगी … Read more