डायबिटीज क्या है ? डायबिटीज के कारण, लक्षण, डायबिटीज के प्रकार-टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज, गर्भकालीन डायबिटीज, डायबिटीज के मरीजों के लिए आहार एवं बचाव के उपाय …
आजकल की तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी में समय पर खाने पीने या एक संयमित जीवन शैली जीने का समय शायद ही किसी के पास है। इस अनियमित जीवनशैली ने ढेर सारी गंभीर बिमारियों को जन्म दे दिया है। इनमें सबसे प्रमुख नाम डायबिटीज का है।
डायबिटीज अपने आप में एक गंभीर बीमारी होने के साथ साथ कई अन्य बिमारियों का भी जनक है। इसके मरीजों को अक्सर किडनी एवं आँखों की समस्या, इन्फेक्शन आदि से भी जूझना पड़ता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे के अनुसार पूरी दुनिया में करीब 42 करोड़ 20 लाख लोग डायबिटीज के मरीज़ हैं। भारत में यह आंकड़ा है 7 करोड़ 70 लाख। इन आंकड़ों से ही आप इस बीमारी की गंभीरता का अंदाज़ा लगा सकते हैं।
अगर किसी व्यक्ति को एक बार डायबिटीज हो जाये तो प्रायः ऐसा देखा जाता है यह कभी ठीक नहीं होता। व्यक्ति संतुलित जीवनचर्या अपनाये और परहेज में रहे तो यह बस नियंत्रित रहती है। यदि समय पर जागरूक ना हों या परहेज ना करें तो यह बीमारी बहुत ही घातक हो सकती है।
Contents
- 1 डायबिटीज क्या है ? What is Diabetes?
डायबिटीज क्या है ? What is Diabetes?
हमारे शरीर में पैन्क्रियाज़ नाम की एक ग्रंथि होती। इस ग्रंथि से बहुत तरह के हॉर्मोन निकलते हैं जिनमे से एक है इन्सुलिन। इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। हम जो खाना खाते हैं वह शुगर (ग्लूकोज़) में तब्दील होता है और फिर इस शुगर को ऊर्जा में बदलने और हमारी कोशिकाओं तक पहुंचाने का काम करता है इन्सुलिन। इसी से हमारी कोशिकाओं को और परिणामस्वरूप हमें ऊर्जा मिलती है।
यदि किसी कारण से शरीर में इन्सुलिन बनने की प्रक्रिया बंद या धीमी हो जाये तो हमारे खून में जमा शुगर पूरी तरह से ऊर्जा में परिवर्तित नहीं हो पायेगा। इससे खून में शुगर अधिक जमा होने लगेगा। इस परिस्थिति को हम डायबिटीज या मधुमेह कहते हैं। ऐसे में हमारी कोशिकाओं को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाएगी और हमें सुस्ती और थकान महसूस होने लगेगी। इसके अलावा कभी कभी बेहोशी, धड़कन तेज़ होना आदि की भी समस्याएं होने लगती हैं।
डायबिटीज के कारण (Reasons for Diabetes)
शरीर की कोशिकाएं जब खून में मौजूद शुगर को सही ढंग से अवशोषित नहीं कर पातीं तब यह अतिरिक्त शुगर डायबिटीज को जन्म देता है।
इसके प्रमुख कारण हैं –
- परिवार में किसी व्यक्ति (माता,पिता,दादी,दादा,नानी,नाना आदि) को डायबिटीज होना
- बढ़ती उम्र
- खान-पान की ग़लत आदतें
- इंसुलिन की कमी
- हाई कोलेस्ट्रॉल
- व्यायाम ना करना
- हॉर्मोन्स का असंतुलन
- हाई ब्लड प्रेशर
डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Diabetes)
डायबिटीज के निम्नलिखित लक्षण देखने को मिलते हैं –
- बार बार पेशाब लगना
- बहुत सुस्ती महसूस होना
- बार बार प्यास लगना
- जल्दी जल्दी भूख लगना
- शरीर का वजन तेज़ी से कम हो जाना
- देखने में समस्या होना
- यदि शरीर कहीं से कट या छिल जाये तो घाव का जल्दी ना भरना
- पैर की मांशपेशियों में ऐंठन होना
- सिरदर्द एवं चक्कर आना
- कभी कभी मरीज की त्वचा पर काले चकत्ते भी उभर आते हैं
ये कोई जरुरी नहीं की एक व्यक्ति में ये सभी लक्षण दिखें। अगर आपको इनमे से एक दो लक्षण भी दिख रहे हैं तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
डायबिटीज के प्रकार (Types of Diabetes)
डायबिटीज मुख्यतः 3 प्रकार के होते हैं –
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes)
डायबिटीज के दूसरे प्रकारों की तुलना में इसके मरीज़ संख्या में कम हैं लेकिन यह अधिक खतरनाक होता है। इस प्रकार के डायबिटीज में शरीर का इम्यून सिस्टम पैन्क्रियाज़ में मौज़ूद इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इस वजह से इंसुलिन का निर्माण नहीं हो पाता है। इस स्थिति में मरीज को इंसुलिन के इंजेक्शन दिये जाते हैं। इसको लेकर लोगों में यह भ्रान्ति है की यह बचपन में ही होता है जबकि यह पूरी तरह सही नहीं है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। इसको पहले जुवेनाइल डायबिटीज (Juvenile Diabetes) भी कहा जाता था। चार से सात साल के बच्चों में यह अधिक देखा गया है।
टाइप 1 डायबिटीज के होने का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह अनुवांशिक हो सकता है। ऐसा देखा गया है की यदि किसी व्यक्ति के माता, पिता, दादी, दादा, नानी, नाना आदि में से किसी को यह बीमारी है तो उसे भी होने की संभावना होती है।
टाइप 1 डायबिटीज के जांच की विधि
टाइप 1 डायबिटीज की जांच के लिए आपके चिकित्सक निम्नलिखित जाँच कराने की सलाह दे सकते हैं –
- सामान्य जाँच – डायबिटीज का पता लगाने के लिए मरीज के खून में शुगर की मात्रा की जांच की जाती है। यह जांच प्रक्रिया दो भागों में की जाती है। पहली बार मरीज के खाना खाने से पहले खून लिया जाता है और दूसरी बार खाना खाने के 2 घंटे बाद।
- HBA1C जाँच – यह जांच एक लम्बे समयावधी में मरीज के शुगर के स्तर में उतार चढ़ाव को पता करने के लिए किया जाता है।
टाइप 1 डायबिटीज का इलाज
अभी तक टाइप 1 डायबिटीज का कोई कारगर इलाज संभव नहीं हो पाया है। बस हम इतना ही करते हैं की खून में शुगर की मात्रा अधिक न बढ़ पाए। इसके लिए इन्सुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं।
हालाँकि मरीज में यदि इच्छाशक्ति हो तो वह एक संयमित जीवन शैली अपना कर एवं अपने खान पान में नियंत्रण रख कर शुगर के स्तर को बहुत हद तक सामान्य रख सकता है।
शारीरिक सक्रियता भी शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद करता है। रोज़ व्यायाम करना, पैदल चलना, प्राणायाम करना डायबिटीज के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
अपने खाने पीने में मीठे का उपयोग कम से कम करें। आलू, चावल, कोल्ड ड्रिंक्स आदि का प्रयोग न के बराबर करें।
टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes)
इसमें शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है या फिर शरीर सही तरीके से इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर पाता है। यह मधुमेह का सबसे आम प्रकार है। प्रायः यह अधिक उम्र के लोगों में होता है लेकिन आजकल देखा जा रहा है की यह कम उम्र के लोगों या बच्चों को भी हो रहा है।
टाइप 2 डायबिटीज में मरीज की कोशिकाएं इन्सुलिन के प्रति उदासीन हो जाती हैं जिससे की ऊर्जा को अवशोषित करने की उनकी क्षमता कम हो जाती है।
टाइप 2 डायबिटीज के जाँच की विधि
टाइप 2 डायबिटीज के लिए आपके चिकित्सक निम्नलिखित जांच करने की सलाह दे सकते हैं –
- सामान्य जाँच – इसमें मरीज के खून का 2 बार सैंपल लिया जाता है – पहली बार सुबह खाली पेट में और दूसरी बार खाने के 2 घंटे के बाद।
- A1C जाँच – इस जांच से यह पता लगाया जाता है की पिछले 3 महीनों में मरीज का शुगर स्तर कैसा रहा है। इस जाँच को HBA1C, ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन, ग्लाइकोसायलेटेड हीमोग्लोबिन जांच के नाम से भी जाना जाता है।
- ओरल शुगर टॉलरेंस जाँच – मरीज को रातभर भूखे रहना पड़ता है और सुबह खाली पेट ही खून का सैंपल देना होता है। इसके बाद उसे कुछ मीठा पेय पदार्थ दिया जाता है और उसके बाद हर 2 घंटे के बाद शुगर की जाँच की जाती है।
- रैंडम ब्लड शुगर जाँच – इस जांच में दिन में कभी भी खून का सैंपल लिया जा सकता है। मरीज ने क्या खाया है, कब खाया है इससे कोई मतलब नहीं होता है। हालाँकि इस जाँच से डायबिटीज के स्तर की बहुत सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है। फिर भी मोटे तौर पर एक अंदाज़ा मिल जाता है।
टाइप 2 डायबिटीज का इलाज
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ एवं खानपान में नियन्त्रण रखें। एक स्वस्थ डायट प्लान आपके शुगर स्तर को नियंत्रण में रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। इसके अलावा नियमित रूप से शुगर की जाँच कराते रहें जिससे की आप इसको बेहतर ढंग से मैनेज कर पाएंगे।
रोज़ाना व्यायाम करें। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है की आपके शरीर में इन्सुलिन ठीक ढंग से काम करने लगता है।
गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational Diabetes)
यह डायबिटीज गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में देखने को मिलता है। हालाँकि अधिकांशतः यह बच्चे के जन्म के बाद अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन आगे चलकर ऐसी महिलाओं में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा अन्य महिलाओं की तुलना में अधिक होता है।
डायबिटीज के मरीजों के लिए आहार (Diet for Diabetes Patients)
डायबिटीज के मरीजों को शराब और सिगरेट से परहेज करना चाहिए और अपने खाने में निम्न चीज़ों को जरूर शामिल करना चाहिए –
- हरी पत्तेदार सब्ज़ियां
- खट्टे फल
- बीन्स
- टमाटर
- साबुत अनाज
- फैट रहित दही और दूध
- ओमेगा-3 फैटी एसिड्स वाली मछलियां
- नट्स
डायबिटीज से बचाव के उपाय (Precautions for Diabetes)
डायबिटीज से बचने के लिए निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए –
- अपने खाने में मीठा का प्रयोग ना के बराबर करें
- रोज़ाना सुबह टहलें, व्यायाम करें
- कोल्ड ड्रिंक्स पीने से परहेज करें
- अपने खाने में हाई-फाइबर वाले चीज़ों को शामिल करें
- खूब पानी पियें
- अपने वजन को नियंत्रण में रखें
- प्रोटीन वाली चीज़ें अधिक खाएं
- विटामिन डी की कमी से डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए इसकी कमी न होने दें
- शराब और सिगरेट से परहेज करें
डायबिटीज को लेकर अक्सर लोग शुरुआत में लापरवाही बरतते हैं जो आगे चलकर गंभीर समस्या बनकर उभर जाती है। ये याद रखिये की आँखें मूँद लेने से खतरा टल नहीं जाता। समय पर इसकी जांच कराएं और इसका समुचित इलाज कराएं। अपनी दिनचर्या बदलें, खानपान नियंत्रित करें। बुरी आदतों को त्यागें और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। अगर आप डायबिटीज के शुरूआती दौर में हैं तो आप अपनी जीवनशैली में बदलाव करके ही इसे ठीक कर सकते हैं। और यदि आप एडवांस स्टेज में हैं तब भी आप इसे नियंत्रण में जरूर रख सकते हैं। लेकिन कुछ भी करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
दोस्तों, हमने डायबिटीज क्या है ? इसके लक्षण, कारण, प्रकार, बचाव के उपाय आदि के बारे में अपने तरफ से पूरी जानकारी देने की कोशिश की है। फिर भी अगर आप कोई सुझाव देना चाहते है तो हम आपका स्वागत करते है। आप अपना सुझाव हमारे साइट के contact us सेक्शन में जाकर दे सकते हैं या फिर comments@hindisamay.in पर हमें मेल भी कर सकते हैं।
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