मनरेगा/नरेगा क्या है ? MGNREGA/NREGA को जानिए हिंदी में

क्या आपको पता है की मनरेगा/नरेगा क्या है ? MGNREGA/NREGA को जानिए हिंदी में इस लेख में।

मनरेगा/नरेगा क्या है ? MGNREGA/NREGA 

मनरेगा यानि की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है। इसे 7 सितंबर 2005 को लागू किया गया था। इस योजना के तहत किसी व्यस्क ग्रामीण को साल में 100 दिन का रोज़गार उसके गाँव या आस पास के ही क्षेत्र (5 km के दायरे के अंदर) में उपलब्ध कराया जाता है।

मनरेगा दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक कल्याण कार्यक्रम है। आँकड़ों के अनुसार, कार्यक्रम के शुरुआती 10 वर्षों में कुल 3.14 लाख करोड़ रुपए खर्च किये गए।  2021-22 वित्तीय वर्ष में मनरेगा के लिए भारत सरकार ने 73000 करोड़ का बजट निर्धारित किया है जबकि 2020-21 के लिए 61500 करोड़ रूपये दिए गए थे।

ग्रामीण लोगों के दूसरे शहरों में पलायन को रोकने और उन्हें अपने गाँव में ही रोज़गार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस योजना को लाया गया है। इससे ग्रामीणों की क्रय शक्ति भी काफी हद तक बढ़ी है। इस योजना के तहत सबको, चाहे वे कौशलपूर्ण हों अथवा अर्धकौशल, गरीबी रेखा से नीचे हों या ऊपर, रोजगार देने का लक्ष्य है।

मनरेगा के अंतर्गत चलने वाली किसी भी योजना में कार्यरत कुल मजदूरों की संख्या का 33 प्रतिशत महिलाएं होती हैं। इस तरह महिलाओं को भी रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ और उनके सशक्तिकरण में इसने बहुत बड़ा योगदान दिया है। शुरूआत में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 (गाँधी जयंती के अवसर पर) को इसका नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) कर दिया गया।

 

मनरेगा किसके कार्यकाल में लागू किया गया ?

मनरेगा को श्री मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल में UPA की सरकार द्वारा लागू किया गया। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज की इस परियोजना को धरातल पर लाने में अहम भूमिका है। ज्यां द्रेज का जन्म बेल्जियम में हुआ था और वे दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। वह दो बार भारत के राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं।

 

मनरेगा में कौन सी योजनाएं ली जाती हैं ? 

मनरेगा में मुख्यतः मिट्टी से सम्बंधित योजनाएं ली जाती हैं। इसके अलावा भी कुछ योजनाएं हैं जिसमें मनरेगा की हिस्सेदारी होती है – जैसे विभिन्न तरह के आवास, सिंचाई कूप, आदि। इसके अंतर्गत संचालित होने वाली कुछ योजनाएं निम्नलिखित हैं —

  • तालाब निर्माण
  • भूमि समतलीकरण
  • वृक्षारोपण
  • ट्रेंच कटाई
  • मिट्टी-मोरम पथ
  • आवास निर्माण
  • डोभा निर्माण
  • बागवानी
  • दीदी बाड़ी
  • मेड़बंदी
  • सिंचाई कूप निर्माण

इन सब के अलावा भी बहुत सी योजनाएं हैं जो मनरेगा के तहत संचालित की जाती हैं।

 

मनरेगा के व्यय में सरकारों की हिस्सेदारी 

भारत सरकार मजदूरी एवं सामग्री पर होने वाले कुल व्यय का 75 प्रतिशत और प्रशासनिक लागत का कुछ प्रतिशत वहन करती है। वहीँ राज्य सरकारें सामग्री पर होने वाले व्यय का  25 प्रतिशत देती हैं। 100 दिन का रोज़गार न दे पाने की स्थिति में मज़दूरों को बेरोजगारी भत्ता और  प्रशासनिक व्यय का कुछ हिस्सा राज्य सरकारें वहन करती है। बेरोज़गारी भत्ता का निर्धारण राज्य सरकारें करती हैं।

 

मनरेगा में काम पाने की प्रक्रिया क्या है ?

मनरेगा में काम पाने के लिए ग्रामीणों को निम्नलिखित प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है —

  1. परिवार के जितने भी सदस्यों को पंजीकृत करवाना है उन सबका फोटो और आधार कार्ड ग्राम पंचायत कार्यालय में जमा किया जाता है। इसमें सिर्फ व्यस्क सदस्यों का ही पंजीकरण होता है।
  2. पंचायत के कर्मी आवेदक के सत्यता की जांच करते हैं। सही पाए जाने पर उस परिवार को पंजीकृत कर लिया जाता है और एक जॉब कार्ड प्रदान किया जाता है।एक ही जॉब कार्ड में परिवार के सभी पंजीकृत सदस्यों का ब्यौरा होता है।
  3. पंजीकरण हो जाने के बाद उस परिवार के सदस्य काम की मांग कर सकते हैं। इसके लिए पंचायत में रोजगार सेवक या कार्यक्रम पदाधिकारी को आवेदन दिया जाता है।
  4. उक्त कर्मी 15 दिनों के अंदर आवेदक के सुविधानुसार उसे गाँव में चल रही योजनाओं में काम निर्धारित करते हैं। काम की माँग के 15 दिनों के अंदर काम नहीं दे पाने की स्थिति में आवेदक बेरोजगारी भत्ता का हकदार होता है।
  5. एक सप्ताह में छः दिन काम लिया जाता है। इसके बाद सीधे मज़दूर के बैंक खाते में उसकी कुल मज़दूरी का भुगतान सरकार के द्वारा कर दिया जाता है। इसमें पुरुषों एवं महिलाओं को समान रूप से मज़दूरी दी जाती है।
  6. कार्यस्थल की दूरी 5 km से अधिक होने पर परिवहन भत्ता भी देय है।

जॉब कार्ड ऑनलाइन कैसे देखें ?

मनरेगा के वेबसाइट पर जा के कोई भी व्यक्ति अपना जॉब कार्ड देख सकता है। इसके लिए निम्नलिखित बिंदुओं का अनुसरण करना होगा –

  1. सर्वप्रथम मनरेगा की वेबसाइट nrega.nic.in को खोलिये। आपके सामने वेबसाइट का होमपेज खुल जायेगा।                                     
  2. होमपेज पर बायीं तरफ Panchayats/GP/PS/ZP  पर क्लिक करें।
  3. इसके बाद जो पेज खुलेगा उसपे Gram Panchayats पर क्लिक करें।                               
  4. इसके बाद Generate Reports – Job Cards, Job Slip, MSR Register, Pending Works, UC पर क्लिक करें।                           
  5. अगले पेज पर राज्यों की सूची दिखेगी। इसमें से अपने राज्य पर क्लिक करें।                                                                                                 
  6. नए पेज पर आपको एक फॉर्म दिखेगा। इसमें वित्तीय वर्ष, जिला, प्रखण्ड, पंचायत का नाम चुनने के बाद Proceed बटन पर क्लिक करें।                                                                                                                                                                                                       
  7. इस पेज पर R.1 Job Card/Registration वाले सेक्शन में पाँचवे नंबर पर Job Card/Employment Register पर क्लिक करें।     
  8. क्लिक करते ही आपके पंचायत के सभी जॉब कार्डधारियों की सूची आपके सामने खुल जाएगी।                                                           
  9. किसी भी नाम के पहले अंकित जॉब कार्ड नंबर पर क्लिक करके आप उस व्यक्ति का जॉब कार्ड देख सकते हैं।                                     

मनरेगा में मेट कौन होता है ?

मनरेगा में मेट उसी गाँव का व्यक्ति होता है। वह जॉब कार्ड धारकों को काम पर लगाता है, उनकी हाजिरी बनाता है एवं काम की निगरानी करता है। मज़दूरों को मजदूरी दिलाने में भी मदद करता है। इसके अलावा कार्य स्थल पर मूलभूत सुविधाओं जैसे – प्राथमिक उपचार  व्यवस्था, पेयजल, छावनी आदि को सुनिश्चित करना भी मेट की ही जिम्मेदारी होती है।

 

मेट का चयन कैसे होता है ?

  1. मेट के चयन के लिए सर्वप्रथम जिला कार्यालय के द्वारा विज्ञापन प्रकाशित कर आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं।
  2. आवेदक अपने आवेदन ग्राम पंचायत कार्यालय में जमा करते हैं एवं उसके बाद उनका सत्यापन किया जाता है।
  3. आवेदनों के सत्यापन के पश्चात ग्राम पंचायत मेट का चयन करती है।

इस चयन प्रक्रिया में विधवा, परित्यक्ता, एकल, विकलांग, BPL कार्डधारी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग से आने वाले व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाती है।

मेट के लिए शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास है। यह पुरुषों एवं महिलाओं के लिए समान है लेकिन विशेष परिस्थिति में अगर आठवीं पास महिला न मिले तो कम से कम पाँचवीं पास महिला का भी चयन किया जा सकता है। न्यूनतम  50 कामगारों पर एक मेट का चयन किया जाता है।

 

मनरेगा की शुरुआत कब हुई ?

मनरेगा को सर्वप्रथम 2 फरवरी, 2006 को 200 जिलों में अधिसूचित किया गया था। वर्ष 2007-2008, में इसे अन्य 130 जिलों में विस्तारित किया गया। बाद में इसे भारत के सभी 593 जिलों में लागू कर दिया गया। कुछ जिले जहाँ विशुद्ध रूप से शहरी आबादी है उन्हें इस सूची  से बाहर रखा गया है।

 

मनरेगा की आलोचना  

बहुत से बुद्धिजीवियों ने मनरेगा कीआलोचना भी की है। उनका मानना है की मनरेगा को जिस उद्देश्य से लाया गया था उसमे यह विफल रहा। इसकी प्राथमिकता थी कामगारों का पलायन रोकना जिसमें यह आंशिक तौर पर ही सफल रहा। दूसरा उद्देश्य था गरीबी उन्मूलन जिसमें यह विफल रहा।

मनरेगा में वित्तीय अनियमितता की शिकायत हमें अक्सर सुनने को मिलती है।

मनरेगा द्वारा पूर्ण कार्यों पर अधिकांशतः उस गाँव के धनाढ्य वर्ग का ही कब्ज़ा होता है। अंततः समाज का गरीब और कमजोर वर्ग मनरेगा उत्पादों का लाभ पूर्ण रूप से नहीं ले पाता है। उसे बस अपनी मज़दूरी ही मिलती है।

वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा मज़दूरी दर जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें –

MGNREGA_Wage_rate_notification_for_FY2020-21

आशा करते हैं की आप अब जान गए होंगे की मनरेगा/नरेगा क्या है ?

 

इन्हें भी पढ़ें –

1 thought on “मनरेगा/नरेगा क्या है ? MGNREGA/NREGA को जानिए हिंदी में”

Leave a Comment