Home Loan कैसे लें ?

सबका सपना होता है की उसका अपना एक घर हो। लेकिन महंगाई या आर्थिक तंगी की वजह से बहुतों का अपने घर का सपना अधूरा ही रह जाता है। वैसे सभी लोगों के लिए Home Loan एक तारणहार है जिसकी मदद से आप अपने सपने को पूरा कर सकते हैं। Home Loan आप अपना घर बनाने, घर या फ्लैट ख़रीदने, घर की मरम्मत करने आदि के लिए ले सकते हैं। इससे आपको बहुत से फायदे भी हैं जैसे – टैक्स में छूट, कम ब्याज दर, लोन चुकाने की लम्बी अवधि आदि। लेकिन बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता की वो बैंक से Home Loan कैसे लें ? इसलिए आज हम इसी विषय पर बात करेंगे।

 

Home Loan कैसे लें ?

भारत में Home Loan किसी भी बैंक से लिया जा सकता है। बैंक इस बात का आकलन करती है की आवेदक को कितना लोन दिया जा सकता है और वह लोन चुकाने में सक्षम है या नहीं। लोन की राशि आपकी प्रति माह की आमदनी पर निर्भर करती है। मतलब जितनी अधिक कमाई उतना ही ज्यादा लोन आपको मिलेगा। साधरणतः बैंक ये देखती है की आपकी मासिक कमाई का 50 प्रतिशत तक ही लोन की किश्त के रूप में देय हो। इसके अलावा आवेदक के उम्र पर भी लोन की राशि निर्भर करती है। जितनी अधिक उम्र उतनी ही कम राशि बैंक देती है।

Home Loan लेते समय बैंक सम्बंधित संपत्ति के कागज़ात अपने पास रख लेती है। जब तक लोन का भुगतान न कर दिया जाये तब तक ये कागज़ात बैंक के पास जमा रहते हैं। साधारणतः आप जिस संपत्ति को गिरवी रख रहे हैं उसके बाज़ार मूल्य का 75 से 90 प्रतिशत तक राशि आपको मिल सकती है। इसे चुकाने के लिए आपको 30 वर्ष तक की अवधि मिल सकती है। बैंक इस लोन प्रक्रिया के लिए कुछ प्रोसेसिंग चार्ज भी ले सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे की बैंक से Home Loan कैसे लें ?

 

Home Loan के लिए आवश्यक कागज़ात –

Home Loan के आवेदन फॉर्म के अलावा कुछ और कागज़ात हैं जो आपको आवेदन करते समय देने होते हैं। प्रायः सभी बैंकों के लिए ये समान ही हैं लेकिन कहीं-कहीं कुछ कागज़ात घट बढ़ भी सकते हैं। मोटे तौर पर निम्नलिखित कागज़ातों के छायाप्रति की आवश्यकता होती है –

  1. आवेदन फॉर्म
  2. पैन कार्ड
  3. आधार कार्ड / ड्राइविंग लाइसेंस / वोटर कार्ड
  4. राशन कार्ड / बिजली बिल / पानी बिल / टेलीफोन बिल / पासपोर्ट / LIC पॉलिसी स्लिप
  5. फॉर्म 16, पिछले 2 साल का इनकम टैक्स रिटर्न।  यदि व्यापार करते हैं तो फर्म का बैलेंस शीट, फर्म का लाइसेंस
  6. अगर फ्लैट खरीद रहे हों तो बिल्डर का अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC )
  7. मकान निर्माण में खर्चे का अनुमान (Estimate)
  8. सम्बंधित संपत्ति के कागज़ात (सेल डीड वगैरह)
  9. नगर निगम क्षेत्र में निर्माण कार्य के लिए सम्बंधित निगम आदि से बिल्डिंग प्लान के मंजूरी की कॉपी
  10. आवेदक के 4 -5 पासपोर्ट आकार के फोटो

इन सबके अलावा भी किसी कागज़ात की मांग बैंक द्वारा की जा सकती है।

 

को-बॉरोवर / को-एप्लिकेंट की आवश्यकता –

एहतियात के तौर पे ज्यादातर बैंकों में को-बॉरोवर या को-एप्लिकेंट की शर्त भी होती है। आवेदक द्वारा लोन न चुका पाने की स्थिति में को-बॉरोवर को लोन की राशि देनी पड़ेगी। सम्बंधित संपत्ति जिसके नाम से है उसके परिवार का सदस्य को-बॉरोवर या को-एप्लिकेंट हो सकता है। वर्तमान समय में एक आवेदक के साथ 7 को-बॉरोवर हो सकते हैं।

 

Home Loan में क्रेडिट स्कोर का महत्व –

बैंक अपने सभी ग्राहकों को एक स्कोर जारी करती है जिसे क्रेडिट स्कोर कहा जाता है। यह बैंक के साथ उस ग्राहक के सम्बन्ध एवं लेनदेन के आधार पर तय होता है। जितना अच्छा क्रेडिट स्कोर होगा उतनी ही आसानी से आपको लोन मिलेगा। आम तौर पर 700 या उससे अधिक के स्कोर को अच्छा माना जाता है।

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Home Loan की मंज़ूरी –

आवेदक द्वारा जमा किये गए लोन फॉर्म एवं अन्य कागज़ातों की बैंक द्वारा जाँच की जाती है। इससे संतुष्ट होने पर कोई पदाधिकारी या फील्ड अफसर जा कर सम्बंधित स्थल की जाँच करता है। लोन स्वीकृत करने या न करने का पूरा अधिकार बैंक को है। लोन की राशि आपकी आमदनी एवं आपके कागज़ातों पर निर्भर करती है।

यदि बैंक द्वारा आपका आवेदन स्वीकार कर लिया जाता है तो आपको एक लोन स्वीकृति पत्र (लोन सैंक्शन लेटर) दिया जाता है। इस पत्र में लोन की राशि, ब्याज़ दर, लोन चुकाने की अवधि एवं अन्य सभी प्रकार की शर्तों आदि का विस्तृत ब्योरा होता है।

 

लोन की राशि मिलने की विधि –

लोन की राशि आवेदक के बैंक खाते में हस्तांतरित कर दी जाती है। ज्यादातर मामलों में होम लोन की पूरी राशि एकमुश्त ना देकर 2-3 किश्तों में दी जाती है। घर के निर्माण की प्रगति के अनुसार ही अगली किश्त जारी की जाती है। अगर आप पूर्ण रूप से तैयार घर या फ्लैट खरीद रहे हैं तो पूरी राशि एकमुश्त भी मिल सकती है। आप चाहें तो बैंक यह राशि सीधे मकान या फ्लैट निर्माण करने वाली कंपनी को भी दे सकती है।

 

ब्याज़ दर –

Home Loan पर लगने वाले ब्याज़ की दर फिक्स्ड भी हो सकती है या फ्लेक्सिबल भी हो सकती है। फिक्स्ड ब्याज़ दर का मतलब है की जो ब्याज़ दर लोन लेते समय तय हो गई वही दर अंत तक चलेगी। जबकि फ्लेक्सिबल ब्याज़ दर में यह बदलती रहती है। वर्तमान समय में सभी बैंकों के ब्याज़ दर सामान्यतः 6.5 प्रतिशत से लेकर 6.85 प्रतिशत तक हैं।

 

MCLR क्या है ?

MCLR का मतलब है मार्जिनल कॉस्ट ऑफ़ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट। इसी के आधार पर बैंक Home Loan की ब्याज़ दर तय करती है। इसमें एक दिन,एक महीना, तीन महीना, छः महीना, एक साल, तीन साल के लिए ब्याज़ दर तय किया जाता है। इसमें एक और चीज़ जोड़ी जाती है – स्प्रेड कॉम्पोनेन्ट। मूल ब्याज़ और स्प्रेड कॉम्पोनेन्ट को जोड़कर जो ब्याज़ दर आती है वही आपको देना होगा। मान लीजिए की बैंक का MCLR के अनुसार ब्याज़ दर 6.5 प्रतिशत है और स्प्रेड कॉम्पोनेन्ट 0.5 प्रतिशत है तो आपको 6.5+0.5 = 7.0 प्रतिशत के दर से ब्याज़ देना होगा। इस तरह के ब्याज दर को बैंक एक साल में रिसेट करती है।

 

क्या कोई चार्ज भी देना पड़ता है ?

Home Loan लेते समय साधारणतः हमें प्रोसेसिंग फी भी देना पड़ता है जो की कुल राशि का 1 प्रतिशत तक हो सकता है।

 

Home Loan चुकाने की विधि –

इसके लिए बैंक हर महीने आपके खाते से एक निश्चित राशि की कटौती करती है। इस राशि में ब्याज़ और मूलधन दोनों शामिल होते हैं। इसको हम EMI (इज़ी मंथली इन्सटॉलमेंट) कहते हैं।

 

क्या तय अवधि के पहले लोन चुकाया जा सकता है ?

बिलकुल, आप तय अवधि से पहले भी अपना लोन चुका सकते हैं। इसके लिए बैंक आपसे अलग से कुछ चार्ज लेती है। हालाँकि, फ्लेक्सिबल ब्याज़ दर के मामले में कोई चार्ज नहीं लिया जाता है। आप चाहें तो अपने मासिक किश्त के अलावा भी कोई राशि लोन अकाउंट में दे सकते हैं। ऐसे में मूलधन में से इस राशि को घटा दिया जाता है। इससे आपके द्वारा दी जाने वाली ब्याज़ दर भी घट जाती है।

 

बकाया राशि की जानकारी –

बैंक द्वारा प्रत्येक वर्ष आपकी देनदारी से सम्बंधित विस्तृत ब्यौरा भेजा जाता है। इससे आपको अपने बकाया राशि, भुगतान की गयी राशि आदि के बारे में जानकारी मिलती रहती है। इसे बैंक की वेबसाइट से डाउनलोड भी किया जा सकता है।

 

LTV रेशियो क्या है ?

LTV रेशियो का मतलब है लोन टू वैल्यू रेशियो। बैंक सम्बंधित संपत्ति के बाज़ार मूल्य के हिसाब से ही लोन देती है। सामान्यतः इस मूल्य का  75 से 90  प्रतिशत तक लोन बैंक देती है। हालाँकि LTV रेशियो निर्धारित करते समय अन्य बातों का भी ध्यान रखा जाता है जैसे – क्रेडिट स्कोर, मासिक आय, आदि।

किसी भी बैंक से Home Loan लेते समय सभी बिंदुओं पर विचार कर लेना नितांत आवश्यक है। लोन की राशि बहुत अधिक होती है इसलिए ब्याज़ दर में थोड़ा अंतर भी बहुत मायने रखता है।

 

 

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