ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और येलो फंगस क्या है?

क्या आप जानते हैं की ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और येलो फंगस क्या है? आइये आज इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

भारत में कोरोना महामारी के साथ फंगल संक्रमण भी शुरू हो गया है। इस संक्रमण के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण सरकार ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। पहले तो हम ब्लैक फंगस संक्रमण से ही जूझ रहे थे लेकिन अब तो उसके साथ साथ व्हाइट फंगस और येलो फंगस संक्रमण भी आ गए हैं। डॉक्टरों के अनुसार ये नये संक्रमण ब्लैक फंगस से भी ज्यादा खतरनाक हैं क्योंकि ये केवल एक अंग नहीं, बल्कि फेफड़ों और दिमाग से लेकर हर अंग पर असर डालते हैं। आइये एक एक करके हम इन्हें जानने का प्रयास करते हैं –

 

ब्लैक फंगस (Black Fungus)

ब्लैक फंगस (म्युकरमाईकोसिस-Mucormycosis) एक गंभीर लेकिन दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है। यह Moulds (एक प्रकार का फंगस) के एक ग्रुप, जिसे माइक्रोमाईसेट्स (micromycetes) कहते हैं, के वजह से होता है।  यह फंगस हमारे चारों ओर  मौजूद होता है लेकिन किसी के शरीर को संक्रमित करने के लिए इसे एक विशेष वातावरण की जरूरत होती है।  यह समान्यतः नाक , आंखों में या दिमाग में पाया जाता है। अगर यह एक बार दिमाग में फैल गया तो इसका इलाज बहुत कठिन है।

 

कितना खतरनाक है ब्लैक फंगस संक्रमण ?

यह एक जानलेवा संक्रमण है जिसमें मृत्यु दर काफी अधिक है। इससे संक्रमित लोगों में मृत्यु दर लगभग 50% से 70% तक होती है। अगर एक हद से ज्यादा संक्रमण फैल गया तो मरीज को बचा पाना बहुत ही मुश्किल होता है। कोरोना वायरस इस फंगस को आसानी से फैलने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।  इसका एक कारण कोरोना मरीजों के इम्यूनिटी लेवल में कमी हो जाना भी है। शुरू में यह संक्रमण उन कोरोना मरीजों तक ही सीमित था जो गंभीर डायबिटीज, कैंसर के मरीज थे। लेकिन अब यह सामान्य मरीजों में भी तेज़ी से फैल रहा है जिसका मुख्य कारण है स्टेरॉयड का अत्यधिक प्रयोग।

 

क्या ब्लैक फंगस संक्रमण के पीछे स्टेरॉयड वजह है ?

अगर स्टेरॉयड का लंबे समय तक प्रयोग किया जाए तो यह ब्लैक फंगस का कारण बन सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि स्टेरॉयड  हमारे इम्यूनिटी को कम कर सकता है। साथ ही यह ब्लड शुगर लेवल को भी बढ़ा सकता है। जिनको डायबिटीज नहीं है उनमें भी स्टेरॉयड फंगल संक्रमण को फैलाने के लिए अनुकूल वातावरण बना सकता है।

 

क्या सभी स्टेरॉयड से फंगल संक्रमण का खतरा है ?

यह जरूरी नहीं की हरेक स्टेरॉयड फंगल संक्रमण का खतरा पैदा करता है। मुख्यतः सिस्टमिक स्टेरॉयड जैसे- Dexamethasone , Methylprednisolone के इस्तेमाल के कारण ही इसके  होने का खतरा होता है। जबकि प्रारंभिक कोविड के इलाज के लिए बताई गयी  दूसरी  दवा Corticosteroid -Budesonide (जिसे इन्हेल करते हैं) से ऐसा कोई खतरा नहीं है। फिर भी हमें स्टेरॉयड केवल अनुभवी डॉक्टर की देखरेख में ही लेना चाहिए।

 

ब्लैक फंगस के प्रमुख लक्षण हैं –

  • चेहरे पर सूजन, विशेष कर आंखों और गालों के आसपास
  • नाक बहना
  • नाक बंद होना
  • नाक से खून आना या फिर काला सा कुछ पदार्थ निकलना
  • आंखों में जलन और दर्द होना
  • आंखों के आसपास सूजन होना
  • आंखें लाल होना, दृष्टि कमजोर होना
  • आंखें बंद करने और खोलने में परेशानी होना
  • दांतों में दर्द , चबाने में कष्ट या फिर उल्टी और खांसने में खून आना
  • सर दर्द

इनमें से एक-दो या उससे अधिक लक्षण भी सामने आ सकते हैं।

 

ब्लैक फंगस से बचने के लिए कुछ घरेलू सावधानियाँ –

कुछ घरेलू उपाय अपनाकर हम ब्लैक फंगस के खतरे को कम कर सकते हैं। दन्तरोग विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ ऐसे स्वच्छता के नियम हैं जिन्हें अपनाकर ब्लैक फंगस और दूसरे वायरल और फंगल इंफेक्शन के खतरे को कम किया जा सकता है जैसे –

  • दिन में दो से तीन बार ब्रश करें
  •  सुबह शाम खाने के बाद गरारे करें
  •  एंटीफंगल मॉउथवाश का इस्तेमाल कर मुंह की सफाई करें
  • कोविड का टेस्ट निगेटिव आने के बाद अपना टूथब्रश बदल दें
  • नियमित रूप से मुंह और चेहरे की साफ-सफाई करें
  • ब्रश और टंग क्लीनर को नियमित रूप से एंटीसेप्टिक माउथवॉश से साफ करें

क्या ब्लैक फंगस संक्रमण का इलाज संभव है ?

ब्लैक फंगस संक्रमण का इलाज संभव है लेकिन सफलता दर और उपचार का प्रकार कुछ बातों पर निर्भर करता है जैसे  –

  1. इन्फेक्शन किस स्टेज पर है
  2. किस अंग में इंफेक्शन है क्योंकि घाव को ठीक करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है

 

व्हाइट  फंगस  (White Fungus)

चिकित्सकीय भाषा में इसे कैंडिडा कहते हैं। यह खून में मिलकर शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है। इसका संक्रमण नाखून, चमड़ी, किडनी, पेट और मुंह के साथ साथ फेफड़ों को भी संक्रमित कर सकता है। फेफड़ों पर असर डालने के कारण इसके बहुत से लक्षण कोरोना से मिलते-जुलते होते हैं, जैसे सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, आदि।

 

अन्य लक्षण –

  • जोड़ों में दर्द
  • सोचने विचारने की क्षमता प्रभावित
  • बोलने में परेशानी
  • उल्टियाँ
  • सिर में तेज दर्द
  • शरीर पर छोटे छोटे फोड़े
  • फेफड़ों में संक्रमण फैलने पर कोरोना जैसे लक्षण

व्हाइट फंगस संक्रमण तेजी से शरीर के मुख्य अंगों को अपनी चपेट में ले लेता है और मरीज के अंदरूनी अंग नाकाम होने लगते हैं। स्थिति ज्यादा ख़राब होने पर मरीज़ की मौत भी हो सकती है।

 

यह संक्रमण किन्हें हो सकता है ?

कमजोर इम्युनिटी वाले लोग अगर संक्रमित वनस्पतियों या दूषित पानी के संपर्क में आ जाये तो उन्हें यह संक्रमण होने की संभावना होती है। उन लोगों में भी इसके होने का खतरा रहता है जो डायबिटीज के मरीज हैं या लंबे समय से स्टेरॉयड ले रहे हैं।  कोरोना से संक्रमित वैसे गंभीर मरीज जिन्हें ऑक्सीजन चढ़ाई गयी हो, उन्हें भी संक्रमण हो सकता है यदि नाक या मुंह पर लगे उपकरण फंगलयुक्त हों।

 

इलाज में देरी बिल्कुल न करें –

इसका इलाज तभी बेहतर ढंग से किया जा सकता है जबकि बीमारी शुरुआती अवस्था में ही समझ में आ जाये। ज्यादा देर होने पर मरीज की हालत गंभीर हो सकती है। इसका इलाज कुशल चिकित्सक के निगरानी में ही कराना चाहिए।

 

येलो  फंगस  (Yellow Fungus)

ब्लैक के बाद व्हाइट फंगस और अब येलो फंगस संक्रमण भी आ चुका  है। इस संक्रमण को म्यूकर स्पेक्टिक्स कहा जाता है। डॉक्टरों के अनुसार येलो फंगस के लक्षण बाकि दोनों से अलग हैं। येलो फंगस संक्रमण शरीर के आंतरिक भागों से शुरू होता है। इस संक्रमण की चपेट में आने के बाद अगर किसी को कोई घाव है तो उसमें से मवाद का रिसाव होने लगता है और घाव बहुत धीमी गति से ठीक होता है। इस दौरान मरीज की आंखें धंस जाती हैं और कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। उसका पाचन तंत्र भी खराब हो जाता है।

 

​येलो फंगस के लक्षण –

  • नाक बंद होना
  • आंखों से सुस्पष्ट ना दिखना
  • धंसी हुई आंखें या आंखों के नीचे गड्ढे दिखना
  • शरीर के अंगों का सुन्न होना
  • शरीर में तेज दर्द होना
  • थकान व कमजोरी महसूस होना
  • हृदय गति बढ़ जाना
  • शरीर में घावों से मवाद बहना
  • भूख न लगना
  • लगातार वजन कम होना

किन्हें चपेट में ले सकता है येलो फंगस ?

चिकित्सकों के अनुसार येलो फंगस भी उन्हीं लोगों को अपनी चपेट में लेता है जिनका इम्यूनिटी लेवल कम होता है। यह संक्रमण दूसरे जीव-जन्तुओं में भी देखा गया है।

 

 येलो फंगस से खुद को कैसे बचाएँ ?

  • साफ़ सफाई पर विशेष ध्यान दें
  • इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सभी तरह के पोषक तत्वों को भोजन में शामिल करें
  • बासी खाना कभी न खाएं
  • गन्दी जगहों से दूर रहें

इसका ​इलाज कैसे किया जा सकता है ?

इसके इलाज के लिए एंटीफंगल दवाओं का उपयोग किया जाता है। येलो फंगस संक्रमण के लक्षण दिखते ही बिना देर किये किसी कुशल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

उम्मीद है आपको समझ में आ गया होगा ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और येलो फंगस क्या है?

 

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