सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति रहे मिखाइल गोर्बाचेव का निधन मंगलवार को हो गया [Mikhail Gorbachev Dies]। वे 91 वर्ष के थे और लम्बे समय से बीमार थे। 80 के दशक के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चल रहे शीत युद्ध को समाप्त करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। हालाँकि उसके बाद वो सोवियत संघ के विघटन को नहीं रोक पाए थे। गोर्बाचेव सत्ता में लगभग सात साल ही रहे लेकिन इतने ही समय में उन्होंने कई महत्वपूर्ण बदलाव किये।
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गोर्बाचेव का निधन : व्लादिमीर पुतिन ने जताया शोक
मिखाइल गोर्बाचेव के निधन पर रूस के वर्तमान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गहरा शोक जताया है। उन्होंने गोर्बाचेव के परिवार को एक टेलीग्राम भेजकर अपनी संवेदना व्यक्त की है।
मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति थे
मिखाइल गोर्बाचेव यूनियन ऑफ़ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) के अंतिम नेता थे। दुनिया उन्हें एक प्रगतिशील कम्युनिस्ट नेता के रूप में जानती है। उन्होंने हमेशा अपने नागरिकों के लोकतांत्रिक स्वतंत्रता की वकालत की। 80 के दशक के अंतिम वर्षों में जब सोवियत संघ के पूर्वी यूरोप वाले क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन हो रहे थे तब भी उन्होंने बल प्रयोग नहीं किया। उनके द्वारा प्रेस को भी काफी स्वतंत्रता दी गयी थी। उनसे पहले सोवियत संघ के सरकारी तंत्र पर पार्टी का अत्यधिक हस्तक्षेप हुआ करता था। इसे उन्होंने अपने प्रयासों से बहुत कम किया। इस दौरान हज़ारों राजनैतिक कैदियों को रिहा किया गया।
उन्होंने आर्थिक सुधार का कार्यक्रम भी शुरू किया जिसे पेरेस्त्रोइका या पुनर्गठन नाम दिया। यह सुधार सोवियत संघ को मुद्रास्फीति से उबारने के लिए आवश्यक था।
उन्होंने परमाणु निरस्त्रीकरण की हमेशा पैरवी की और शीत युद्ध समाप्त करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन सब कार्यों लिए 1990 में उन्हें नोबेल शान्ति पुरस्कार भी दिया गया।
गोर्बाचेव के शासन का अंत बड़ा ही निराशाजनक था। उनके कार्यकाल के अंतिम समय में पूर्वी यूरोप के देशों ने एक एक कर अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर दिया। गोर्बाचेव ने 25 दिसम्बर 1991 को सोवियत संघ के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। इसके एक दिन के बाद ही सोवियत संघ विघटित होकर कई देशों में बट गया।
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1 thought on “गोर्बाचेव का निधन-शीत युद्ध समाप्त करने में इनका ही था हाथ”